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jamshedpur : रात होते ही यहां रेलवे नतमस्तक हो जाती है। पिछले साठ दिनों से यही सिलसिला चल रहा है। ममता दीदी का भी इस ओर खास ध्यान नहीं। अब ट्रेनों की बिगड़ी चाल से तंग हो चुकी जनता बार-बार अपने रेल मंत्री से अपील कर रही है कि अब तो दम दिखाओ दीदी।
नक्सली दहशत के कारण घुटने टेके दिख रही रेलवे तारीख पर तारीख बढ़ाती जा रही, लेकिन टाटानगर-खड़गपुर रूट पर रात्रि सेवा बहाल करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रही। अब यह मुद्दा सड़क से लेकर संसद तक उठेगा, लेकिन हताशा का इजहार करने के अलावा रेलवे के पास कोई जवाब नहीं। दक्षिण पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक ‘एक्शन प्लान’ के इंतजार में रातें गुजार रहे हैं तो वहीं एक्शन प्लान बनाने के लिए बनी कमेटी को अब तक कुछ सूझ नहीं रहा। ममता दीदी कोलकाता की राजनीति में उलझी हुईं हैं। ऐसे में आखिर देश के मानचित्र पर उंगली दिखाकर पहचाने जाने वाले झारखंड की खबर कौन ले? ममत बंगाल की कुर्सी के खेल में व्यस्त, गृहमंत्री पी. चिदंबरम ग्रीनहंट में व्यस्त और रेलवे केंद्र व राज्य सरकार की दुहाई देने में व्यस्त। जिम्मेदार लोगों की इस व्यस्तता ने आम लोगों को आम जनता होने का एहसास करा दिया है। जी हां जनता। भारत की जनता, जो सिर्फ और सिर्फ समस्या से घिरी रहती है। कभी पानी की समस्या, कभी बिजली की समस्या। अब रेलवे सफर की समस्या हो गई तो कौन सी आफत आ गई। दीदी का दबदबा बरकरार रहे और सरकार पटरी पर चलती रहे, क्या हुआ गर रेल पटरी पर नहीं चली।
असम में भी कुछ वर्षों पूर्व ऐसे ही हालात थे। बोडो जाति के लोगों ने रेलवे पर ऐसा कहर बरपाया कि असम में बुलेटप्रुफ ट्रेन चलाने की नौबत आ गई। अब ऐसे ही हालात झारखंड में भी बन आए हैं। यहां बुलेटप्रुफ ट्रेन चलने की उम्मीद तो कम दिख रही, अलबत्ता यह जरूर लग रहा कि टाटानगर से खड़गपुर और खड़गपुर से आद्रा रूट पर ट्रेनें कभी रात में नहीं चल पाएंगी। ऐसा इसिलए क्योंकि ट्रैकों की सुरक्षा हेतु रेलवे द्वारा राज्य की पुलिस से अपील करने के बाद राज्य पुलिस ने इससे सीधे-सीधे इनकार कर दिया है। झारखंड के डीआईजी नेयाज अहमद ने साफ कहा कि राज्य में पुलिस बल इतनी नहीं कि ट्रैक की खाक छानते फिरे। बंगाल में भी पुलिस का कुछ ऐसा ही रवैया है। यह तब है जब टाटानगर-खड़गपुर के बीच कई स्टेशनों के पास नक्सली दहशत के कारण यात्रियों की सांसें दिन में भी थम जाती हैं। घाटशिला, खड़गपुर, कलाईकुंडा, सोरडीहा, झारग्राम, गिधनी, कानीमोहली, चाकुलिया व धालभूमगढ़ ऐसे संवेदनशील इलाके हैं।
नतीजा यह कि रेलवे इस रूट पर ट्रेन चलाने को हिम्मत नहीं जुटा पा रही। वैसे रेलवे ट्रैफिक कंट्रोल विभाग ने तो रात को ट्रेन चलाने पर किसी तरह की असुविधा नहीं होने का रिपोर्टदे दिया है, लेकिन बावजूद इसके रात्रि सेवा शुरू नहीं हुई है। अब अंतिम फैसला रेलवे बोर्ड द्वारा लिया जाना है।
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